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लेखनी प्रतियोगिता -26-May-2022

छंटाक भर की जुबान संभाल न पाने पर,

पांच किलो का मुंह तुड़वा लेते हैं लोग।


खुद का कारोबार संभलता नहीं लेकिन

नेताओं को देश चलाना सिखाते हैं लोग


खुद चाहे कितना भी कचरा फेंके राहों में

फिर भी स्वच्छ भारत का नारा देते हैं लोग


कुछ भी कहो लेकिन यह भी बात है कि

परस्थितियों के अनुसार बदल जाते हैं लोग


खुशियों में विपक्ष में बैठना पसंद करते हैं

वही दुःख में पास बैठे नज़र आते हैं लोग।

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12 Comments

Shnaya

28-May-2022 12:47 PM

बेहतरीन

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Reyaan

28-May-2022 12:00 AM

बहुत खूब

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Chirag chirag

27-May-2022 05:27 PM

👌👌

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